Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -05-Apr-2022

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-सूखे पेड़ की सीख
बैठी थी मैं एक पेड़ के नीचे,
थी मैं मायूस और उदास,
झलक रहा था आंख से पानी
आंखें थी मेरी नम
सोच नहीं पा रही थी कुछ
बैठी थी, जिस पेड़ के नीचे
आयी उस पेड़ से एक आवाज
क्यू बैठी हो तुम उदास
इतने प्यारे चेहरे में, क्यू है इतनी मायूसी
क्यों है तुम्हारी नम ये आंखें
कहां मैंने उसे, कोई नहीं लगता अपना मुझे
कहां पेड़ ने उसे
देखा है तूने मुझको
कल तक था में हरा भरा
आज नहीं है एक भी पत्ता
ऐसे ही खड़ा हूं , एक ठूंठ की तरह
जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो
नदी की लहरों की तरह है
देखो तुम मुझे
मैं कल भी चमकता था, और आज भी चमकता हूं
कल तक मेरे पास आते थे बहुत व्यक्ति
आज नहीं आते एक भी
फिर भी मैं अकेला नहीं हूं
सूरज ,चांद ,प्रकृति है मेरे साथ
इनकी शीतलता बनाए रखें अपने साथ
कल जो पत्ते थे, वह नहीं आज
ओस की बूंदें है ,आज मेरे साथ
मानो ऐसे लगता है जैसे पिरोए हो मोती
चलती राहगीर को, अब देते हैं दिखाई
देख मोती को राहगीर बोला
कितना सुंदर लग रहा है ये
जिंदगी में कभी मायूस ना हो तुम
ये दुनिया का  है नजरिया
जो बदलता रहता है समय पर
यही तुम्हारे लिए है सीख
आगे बढ़ते चलो
पीछे मुड़कर ना देख तू
लौट आएगा कल
आगे बढ़ते रहो तुम
और कल का कर  इंतजार तू।



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12 Comments

Anam ansari

06-Apr-2022 08:21 PM

Nice one

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Punam verma

06-Apr-2022 10:49 AM

Very nice

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Reyaan

06-Apr-2022 09:52 AM

👌👏🙏🏻

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